उस प्यारी सी बच्ची को गाँव के बाहर कूड़े के ढेर में फेक दिया गया ,
केवल इसीलिए क्योंकि वह अपने गरीब माता पिता के लिए चौथी
लड़की थी जो की उनके परिवार में पैदा हुई थी , ......
यहाँ तक की आज के आधुनिक युग में भी एक लड़की जन्म को सही तरीके से नही देखा जाता है .....
यहाँ भारत का लड़के और लड़कियों के जन्म का अनुपात १०० लडकों पर ९० लड़कियां है .......
जो की संसार के औसत अनुपात .... १०५ लड़कियों पर १०० लडकों के अनुपात से बेहद कम है .....
ये है आज के संसार का सबसे शर्मिंदा कर देने वाला सच .......
अरे हमें तो अपने संसार से कुछ सीखना चाहिए , और लड़कियों को जीने का बराबर हक देना चाहिए .........
ताकि वे भी इस दुनिया का एक अभिन्न अंग बन सकें और ..... हमारे संसार को स्वर्ग बना सकें .....
मेरा इस कविता को लिखने का केवल एक और एकमात्र उद्देश्य यही है की ....
हर व्यक्ति कन्या भ्रूण हत्या के बारे में जागरूक बन सकें जोकि अपने भारत में बहुत ही
तेजी के साथ बढ़ रहा है , और अन्य देशो में भी इसको रोकने के कोई सार्थक प्रयास नही किये गये हैं ...........
मैं केवल यही चाहती हूँ की इस संसार में , हर लड़की के पास , एक लड़के की तरह ही अपने जीवन को जीने के ,,
लिए समान अधिकार हों , ताकि वे भी इस दुनिया में रह सकें ....... क्योंकि लड़कियां भी न केवल हमारे देश
का बल्कि इस संसार का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग हैं ...... उनके पास भी समान शक्तियां और
अधिकार होने चाहिए ताकि वे भी अपने जीवन आज़ादी के साथ जी सकें , और अपने आपको वे पुरे संसार में कामयाब
बना सकें .........
यहाँ तक की लड़कियों के पास ज्यादा छमताएँ और बुद्धि होती है ,, न केवल वे अपने जीवन को सफल बना सकती है ,
बल्कि वे अपने माता - पिता के सपनो, उनकी आशाओ को भी पूरा कर सकती हैं ,,,, और
अपने घर, अपने परिवार , अपने देश और इस पुरे संसार को अपनी नयी - नयी कामयाबियों से गौरवान्वित भी
करती हैं .....
इसलिए कृपया करके उन्हें जीने दीजिये , उन्हें मत मारिये , और इन सारी बकवास चीजो को होने से रोकिये .......
अगर मेरी कविता , आपके दिलों में छोटी से भी जगह बना पायी होगी तो ,, मेरी और मेरी कविता के लिए एक बहुत बड़ी
उपलब्धि होगी , और मेरी इस कविता को लिखने का मतलब सार्थक हो जाएगा ............
"धन्यवाद"
"प्रियंका त्रिवेदी"
केवल इसीलिए क्योंकि वह अपने गरीब माता पिता के लिए चौथी
लड़की थी जो की उनके परिवार में पैदा हुई थी , ......
यहाँ तक की आज के आधुनिक युग में भी एक लड़की जन्म को सही तरीके से नही देखा जाता है .....
यहाँ भारत का लड़के और लड़कियों के जन्म का अनुपात १०० लडकों पर ९० लड़कियां है .......
जो की संसार के औसत अनुपात .... १०५ लड़कियों पर १०० लडकों के अनुपात से बेहद कम है .....
ये है आज के संसार का सबसे शर्मिंदा कर देने वाला सच .......
अरे हमें तो अपने संसार से कुछ सीखना चाहिए , और लड़कियों को जीने का बराबर हक देना चाहिए .........
ताकि वे भी इस दुनिया का एक अभिन्न अंग बन सकें और ..... हमारे संसार को स्वर्ग बना सकें .....
मेरा इस कविता को लिखने का केवल एक और एकमात्र उद्देश्य यही है की ....
हर व्यक्ति कन्या भ्रूण हत्या के बारे में जागरूक बन सकें जोकि अपने भारत में बहुत ही
तेजी के साथ बढ़ रहा है , और अन्य देशो में भी इसको रोकने के कोई सार्थक प्रयास नही किये गये हैं ...........
मैं केवल यही चाहती हूँ की इस संसार में , हर लड़की के पास , एक लड़के की तरह ही अपने जीवन को जीने के ,,
लिए समान अधिकार हों , ताकि वे भी इस दुनिया में रह सकें ....... क्योंकि लड़कियां भी न केवल हमारे देश
का बल्कि इस संसार का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग हैं ...... उनके पास भी समान शक्तियां और
अधिकार होने चाहिए ताकि वे भी अपने जीवन आज़ादी के साथ जी सकें , और अपने आपको वे पुरे संसार में कामयाब
बना सकें .........
यहाँ तक की लड़कियों के पास ज्यादा छमताएँ और बुद्धि होती है ,, न केवल वे अपने जीवन को सफल बना सकती है ,
बल्कि वे अपने माता - पिता के सपनो, उनकी आशाओ को भी पूरा कर सकती हैं ,,,, और
अपने घर, अपने परिवार , अपने देश और इस पुरे संसार को अपनी नयी - नयी कामयाबियों से गौरवान्वित भी
करती हैं .....
इसलिए कृपया करके उन्हें जीने दीजिये , उन्हें मत मारिये , और इन सारी बकवास चीजो को होने से रोकिये .......
अगर मेरी कविता , आपके दिलों में छोटी से भी जगह बना पायी होगी तो ,, मेरी और मेरी कविता के लिए एक बहुत बड़ी
उपलब्धि होगी , और मेरी इस कविता को लिखने का मतलब सार्थक हो जाएगा ............
"धन्यवाद"
"प्रियंका त्रिवेदी"
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