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Showing posts from 2011

बेटियां ..........

मासूम सी मुस्कान बिखेरती हैं बेटियां बहुत ही प्यारी सी कलियाँ है बेटियां इन्हें खिलने दें ., इन्हें खिलने से पहले ही न मुरझाने दें ,,, क्योंकि इस संसार की अमूल्य धरोहर हैं ,, आपकी ये बेटियां .......... इन्हें बोझ न समझे ... इन्हें अपने प्यार और दुलार से बढ़ने दें .. इनका हाथ थामकर इन्हें आगे बढ़ने में मदद करें ..... क्योंकि किसी से कम नही है बेटियां .... तेज धूप में छाव की तरह है बेटियां अँधेरे में ,, प्रकाश की एक किरण है बेटियां मुरझाये चेहरों पर एक मुस्कान की तरह है बेटियां गम में ,,, ख़ुशी की लहर की तरह है बेटियां प्यारी सी कलियों की तरह हैं बेटियां ... बढने दो इन्हें ,, जीने दो इन्हें मत फेको कचरे के डिब्बे में इन्हें हमारे अग्रणी देश का सुनहेरा भविष्य है ये इन्हें शिक्षित करें .. हमारा पूरा राष्ट्र शिक्षित होगा ...... हमारा भविष्य सुरक्षित होगा .. हमारा देश प्रगति करेगा बिना बेटियों के ये संसार अधूरा है बिना बेटियों के देश नही चल सकता ... इसलिए इन्हें अपना पूरा प्यार दें और इन्हें बचाए .... और कन्या भ्रूण हत्या रोके ............. "प्रियंका त्रि

ये ज़िन्दगी का सफ़र यूं ही गुज़र जायेगा ...............

ये ज़िन्दगी का सफ़र यूं ही गुज़र जायेगा कभी हँसते हुए कभी रोते हुए हर लम्हा यूं ही बीत जायेगा ये ज़िन्दगी की डगर है नही आसान लाखो कठिनाइयां हैं इसमें इन कठिनाइयों को पार करके जो अपनी मंजिल पा जायेगा बस वही तो कामयाबी के नये शिखर को छू पायेगा वैसे तो कई हैं इस भीड़ में पर कामयाब वही कहलायेगा जो इन कठिन राहों पर चलकर दिखायेगा ये ज़िन्दगी का सफ़र यूं ही गुज़र जायेगा हैं तो कई कहने को अपने पर असलियत में अपना वही कहलायेगा जो अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरह से निभा जायेगा ये ज़िन्दगी का सफ़र यूं ही गुज़र जायेगा ....... कभी सुख तो कभी दुःख के साये है इस ज़िन्दगी में प्रकृति के निराले रंग हैं इस ज़िन्दगी में कभी धूप तो कभी छाँव है ज़िन्दगी में ये ज़िन्दगी भी क्या - क्या खेल दिखाती है !!!! कहीं दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती तो कहीं रोटी, कूड़ेदान में जाती है ये ज़िन्दगी भी क्या - क्या खेल दिखाती है !!!! कहीं रहने के लिए , छत ही नहीं और कहीं महलों की गिनती , ही भूल जाती है ! ये ज़िन्दगी का सफ़र यूं ही गुज़र जायेगा . कभी हँसते हुए कभी रोते हुए प्यारे ल

vedna.............

वेदना हमारी अंतर्मन की दशा और भावो को व्यक्त करती है,,,,,,,, ये हमारी शारीरिक और मानसिक स्थितियों को प्रकट करती है........ हमारी वेदना किसी भी स्थिति में बदल सकती है......... कभी-कभी तो ये खुद के दुखो के कारण होती है और कभी तो बिना किसी कारण के भी हो सकती है पर हर परिस्थिति में इसके कारण अलग-अलग होतें है अपनों को दुःख में देखकर हमारी ये वेदना भी बढ़ जाती है हम अपने अपनों को दुःख में देखकर मनं ही मन में रोते हैं और सोचते हैं की काश ये सारे दुःख और कष्ट हमारे अपनों से दूर हो जाएँ और उन्हें सारी खुशियाँ मिल सकें हमारे परिवार वालों को......................... और कभी ये वेदना तो दूसरे के सुखों को देखकर ईर्ष्या के भावों के साथ हमारे दिल में होती है,,,,,,, पर इस प्रकार की वेदना से हमें कभी भी सुख नहीं मिल सकता है हमें बल्कि ये हमारे लिए और भी दुखदायी हो जाती है........ ऐसी वेदना से हमारी बुद्धि का सर्वनाश भी हो सकता है और इस तरह की वेदना से घिरकर हम दिन प्रतिदिन अपने अस्तित्व को खोते जातें हैं और कभी भी सफल नहीं हो सकते हैं,,,,,,,,, इसलिए जहाँ तक हो सके हमें इस प्रकार की व

ummedo ke jharokhe se

उम्मीद क्या है? उम्मीद ही तो है जिस पर चलकर आजतक ये दुनिया कायम है,, एक उम्मीद ही तो है वो जिसने हमें जीना सिखाया ,                                                                   उम्मीद की राह पर चलकर ही तो आज ये दिन है , "स्वतंत्रता दिवस"!!!!!!!!!!!!!!!! उम्मीद की राह पर चलकर ही तो आज हम,, "स्वतंत्र रास्त्र के नागरिक हैं" और हमें गर्व होना चाहिए आज हमारे  ६५वे स्वतंत्रता दिवस पर इस स्वतंत्र देश के नागरिक होने पर ये हमारे  और हमारे देश दोनों के, लिए बड़े सम्मान की बात है हमें उम्मीद थी की हम एक न एक दिन जरुर आजाद होंगे हमें इन अंग्रेजो, उनकी हुकूमत और गुलामी से आजादी , और उनके तानाशाही राज्य से स्वतंत्रता मिल कर ही रहेगी और हमारी उम्मीद बिलकुल ठीक थी आज हम स्वतंत्र हैं अंग्रेजों और उनके चुंगल से ये सब हमारी उम्मीदों के साथ न छोड़ने की ही वजह  से ही है तो हमें कभी भी उम्मीद का साथ नहीं छोड़ना चाहिए "बस यही है उम्मीद" अब मुझे आप लोगों से यही उम्मीद है की आप कभी भी इस उम्मीद का  साथ नही छोड़ेंगे!!!!!!!!!! आज स्वतंत्रता दिवस पर