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गजल ............



दिल के जख्मों को जुबान पे लायें कैसे ,
गम - ए - उल्फत  का दीदार कराएँ कैसे  ,
अपने दुखों को  दुनिया से छुपायें कैसे ,
अपने ग़मों से सबको बचाएं कैसे,
दिल के जख्मों को जुबान पे लायें कैसे ,!!
दिल में उठते हुए तूफ़ान को मिटायें कैसे .......
उजड़े हुए चमन में बहार लायें कैसे  .........
अपनी डूबती हुई कसती को पार लगायें कैसे ....
दिल के जख्मों को जुबान पे लायें कैसे , !!!
दिल में उमड़ते हुए सैलाब को रुकाएं कैसे ,
अपने
टूटे हुए मन को मनाएं कैसे .....
अपनी हस्ती को आफताब  बनाएं कैसे ??
दिल के जख्मों को जुबान पे लायें कैसे !!!!
लायें कैसे ????


"प्रियंका त्रिवेदी "


Comments

Kailash Sharma said…
सुन्दर प्रस्तुति...शुभकामनाएं!

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vedna.............

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