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गजल ............



दिल के जख्मों को जुबान पे लायें कैसे ,
गम - ए - उल्फत  का दीदार कराएँ कैसे  ,
अपने दुखों को  दुनिया से छुपायें कैसे ,
अपने ग़मों से सबको बचाएं कैसे,
दिल के जख्मों को जुबान पे लायें कैसे ,!!
दिल में उठते हुए तूफ़ान को मिटायें कैसे .......
उजड़े हुए चमन में बहार लायें कैसे  .........
अपनी डूबती हुई कसती को पार लगायें कैसे ....
दिल के जख्मों को जुबान पे लायें कैसे , !!!
दिल में उमड़ते हुए सैलाब को रुकाएं कैसे ,
अपने
टूटे हुए मन को मनाएं कैसे .....
अपनी हस्ती को आफताब  बनाएं कैसे ??
दिल के जख्मों को जुबान पे लायें कैसे !!!!
लायें कैसे ????


"प्रियंका त्रिवेदी "


Comments

Kailash Sharma said…
सुन्दर प्रस्तुति...शुभकामनाएं!

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खुदा की इनायत...... 😘😘

आपसे मिले ये खुदा  की इनायत थी , आपने चाहा ये  हमारी शौहरत  थी , आपको पाया हमारी   बरक्कत थी , कोई नहीं इस जग में हम सा खुशनसीब , जिसके पास आपसे प्यारी दौलत थी , मिलें  आपको दुनिया की हर एक खुशियाँ , खिलखिलाता रहे घर आँगन आपका सदा , बस इतनी ही है दुआ रब से, आपके  दिल के छोटे से कोने में हो घर अपना। ….. -प्रियंका त्रिवेदी

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वेदना हमारी अंतर्मन की दशा और भावो को व्यक्त करती है,,,,,,,, ये हमारी शारीरिक और मानसिक स्थितियों को प्रकट करती है........ हमारी वेदना किसी भी स्थिति में बदल सकती है......... कभी-कभी तो ये खुद के दुखो के कारण होती है और कभी तो बिना किसी कारण के भी हो सकती है पर हर परिस्थिति में इसके कारण अलग-अलग होतें है अपनों को दुःख में देखकर हमारी ये वेदना भी बढ़ जाती है हम अपने अपनों को दुःख में देखकर मनं ही मन में रोते हैं और सोचते हैं की काश ये सारे दुःख और कष्ट हमारे अपनों से दूर हो जाएँ और उन्हें सारी खुशियाँ मिल सकें हमारे परिवार वालों को......................... और कभी ये वेदना तो दूसरे के सुखों को देखकर ईर्ष्या के भावों के साथ हमारे दिल में होती है,,,,,,, पर इस प्रकार की वेदना से हमें कभी भी सुख नहीं मिल सकता है हमें बल्कि ये हमारे लिए और भी दुखदायी हो जाती है........ ऐसी वेदना से हमारी बुद्धि का सर्वनाश भी हो सकता है और इस तरह की वेदना से घिरकर हम दिन प्रतिदिन अपने अस्तित्व को खोते जातें हैं और कभी भी सफल नहीं हो सकते हैं,,,,,,,,, इसलिए जहाँ तक हो सके हमें इस प्रकार की व

ummedo ke jharokhe se

उम्मीद क्या है? उम्मीद ही तो है जिस पर चलकर आजतक ये दुनिया कायम है,, एक उम्मीद ही तो है वो जिसने हमें जीना सिखाया ,                                                                   उम्मीद की राह पर चलकर ही तो आज ये दिन है , "स्वतंत्रता दिवस"!!!!!!!!!!!!!!!! उम्मीद की राह पर चलकर ही तो आज हम,, "स्वतंत्र रास्त्र के नागरिक हैं" और हमें गर्व होना चाहिए आज हमारे  ६५वे स्वतंत्रता दिवस पर इस स्वतंत्र देश के नागरिक होने पर ये हमारे  और हमारे देश दोनों के, लिए बड़े सम्मान की बात है हमें उम्मीद थी की हम एक न एक दिन जरुर आजाद होंगे हमें इन अंग्रेजो, उनकी हुकूमत और गुलामी से आजादी , और उनके तानाशाही राज्य से स्वतंत्रता मिल कर ही रहेगी और हमारी उम्मीद बिलकुल ठीक थी आज हम स्वतंत्र हैं अंग्रेजों और उनके चुंगल से ये सब हमारी उम्मीदों के साथ न छोड़ने की ही वजह  से ही है तो हमें कभी भी उम्मीद का साथ नहीं छोड़ना चाहिए "बस यही है उम्मीद" अब मुझे आप लोगों से यही उम्मीद है की आप कभी भी इस उम्मीद का  साथ नही छोड़ेंगे!!!!!!!!!! आज स्वतंत्रता दिवस पर