ये ज़िन्दगी का सफ़र
यूं ही गुज़र जायेगा
कभी हँसते हुए
कभी रोते हुए
हर लम्हा यूं ही बीत जायेगाये ज़िन्दगी की डगर
है नही आसान
लाखो कठिनाइयां हैं इसमें
इन कठिनाइयों को पार करके
जो अपनी मंजिल पा जायेगा
बस वही तो कामयाबी के
नये शिखर को छू पायेगा
वैसे तो कई हैं इस भीड़ में
पर कामयाब वही कहलायेगा
जो इन कठिन राहों पर
चलकर दिखायेगा
ये ज़िन्दगी का सफ़र
यूं ही गुज़र जायेगा
हैं तो कई कहने को अपने
पर असलियत में अपना वही
कहलायेगा जो अपनी जिम्मेदारियों
को पूरी तरह से निभा जायेगा
ये ज़िन्दगी का सफ़र
यूं ही गुज़र जायेगा .......
कभी सुख तो
कभी दुःख के साये
है इस ज़िन्दगी में
प्रकृति के निराले रंग
हैं इस ज़िन्दगी में
कभी धूप तो
कभी छाँव है ज़िन्दगी में
ये ज़िन्दगी भी क्या - क्या
खेल दिखाती है !!!!
कहीं दो वक्त की रोटी
भी नसीब नहीं होती
तो कहीं रोटी,
कूड़ेदान में जाती है
ये ज़िन्दगी भी क्या - क्या
खेल दिखाती है !!!!
कहीं रहने के लिए ,
छत ही नहीं
और कहीं महलों की गिनती ,
ही भूल जाती है !
ये ज़िन्दगी का सफ़र
यूं ही गुज़र जायेगा .
कभी हँसते हुए
कभी रोते हुए
प्यारे लम्हों से,
सुहाना सफ़र लहलहायेगा
गहरे ज़ख्मों से ,,
ये दर्द फिर से
हरा हो जायेगा
जिंदगी का सफ़र
यूं ही गुज़र जायेगा
अपनी असफलताओं से
कुछ सीखकर अपने जीवन
को सफल बनाना ही
इस ज़िन्दगी का लक्ष्य हो
इस लक्ष्य को जो
अपना बना पायेगा
वही तो इस ज़िन्दगी का ,,
असली लुत्फ़ उठा पायेगा ........
ज़न्दगी का सफ़र
यूं ही गुज़र जायेगा
यूं ही गुज़र जायेगा ..........
प्रियंका त्रिवेदी ...
यूं ही गुज़र जायेगा
कभी हँसते हुए
कभी रोते हुए
हर लम्हा यूं ही बीत जायेगाये ज़िन्दगी की डगर
है नही आसान
लाखो कठिनाइयां हैं इसमें
इन कठिनाइयों को पार करके
जो अपनी मंजिल पा जायेगा
बस वही तो कामयाबी के
नये शिखर को छू पायेगा
वैसे तो कई हैं इस भीड़ में
पर कामयाब वही कहलायेगा
जो इन कठिन राहों पर
चलकर दिखायेगा
ये ज़िन्दगी का सफ़र
यूं ही गुज़र जायेगा
हैं तो कई कहने को अपने
पर असलियत में अपना वही
कहलायेगा जो अपनी जिम्मेदारियों
को पूरी तरह से निभा जायेगा
ये ज़िन्दगी का सफ़र
यूं ही गुज़र जायेगा .......
कभी सुख तो
कभी दुःख के साये
है इस ज़िन्दगी में
प्रकृति के निराले रंग
हैं इस ज़िन्दगी में
कभी धूप तो
कभी छाँव है ज़िन्दगी में
ये ज़िन्दगी भी क्या - क्या
खेल दिखाती है !!!!
कहीं दो वक्त की रोटी
भी नसीब नहीं होती
तो कहीं रोटी,
कूड़ेदान में जाती है
ये ज़िन्दगी भी क्या - क्या
खेल दिखाती है !!!!
कहीं रहने के लिए ,
छत ही नहीं
और कहीं महलों की गिनती ,
ही भूल जाती है !
ये ज़िन्दगी का सफ़र
यूं ही गुज़र जायेगा .
कभी हँसते हुए
कभी रोते हुए
प्यारे लम्हों से,
सुहाना सफ़र लहलहायेगा
गहरे ज़ख्मों से ,,
ये दर्द फिर से
हरा हो जायेगा
जिंदगी का सफ़र
यूं ही गुज़र जायेगा
अपनी असफलताओं से
कुछ सीखकर अपने जीवन
को सफल बनाना ही
इस ज़िन्दगी का लक्ष्य हो
इस लक्ष्य को जो
अपना बना पायेगा
वही तो इस ज़िन्दगी का ,,
असली लुत्फ़ उठा पायेगा ........
ज़न्दगी का सफ़र
यूं ही गुज़र जायेगा
यूं ही गुज़र जायेगा ..........
प्रियंका त्रिवेदी ...
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