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Showing posts from January, 2012

जुदाई का लम्हा ................

जुदाई का पल  अक्सर एक लड़की लड़की के ही जीवन में आता है , हर बार उसे उसके माता - पिता से अलग कर दिया जाता है , जिसे  उसके माता - पिता इतने लाड - प्यार के साथ बड़े ही , नाजों से पलते - पोसते हैं , उसकी हर  ख्वाहिश को , उसकी हर चाहत को , और उसकी साड़ी छोटी - बड़ी इच्छाओं को पूरा करते हैं , उसको पढ़ाते हैं , लिखाते  हैं , उसे इस समाज में रहने के काबिल बनातें  हैं , उस पर अपना ढेर सारा प्यार लुटाते हैं , एक बेटी भी अपने माता - पिता से बहुत प्यार करती है , अपने घर से भी बहुत प्यार करती है , अपने परिवार को वो इतना चाहती है की वो उनके बिना कभी भी नहीं रह सकती ......... बचपन से लेकर कई सालों तक वो अपने घ्जर में अपने माता - पिता , अपने भाई - बहनों , के साथ रहती है , कहलती- कूदती है , कितना ढेर सारा वक्त बिताती है , जब वो अपने , भाई - बहनों के साथ खेल - खेल में लडती - झगडती  है  तो उसके मम्मी - पापा हमेशा उसे प्यार से या फिर डांटकर लड़ने से मना करते हैं , कभी - कभी वो डांट की वजह से नाराज  भी हो जाती है , लेकिन फिर थोड़ी देर के बाद वो फिर से वैसे खेलने लगती है ये सारी बातें एक बेटी अ

गजल ............

दिल के जख्मों को जुबान पे लायें कैसे , गम - ए - उल्फत  का दीदार कराएँ कैसे  , अपने दुखों को  दुनिया से छुपायें कैसे , अपने ग़मों से सबको बचाएं कैसे, दिल के जख्मों को जुबान पे लायें कैसे ,!! दिल में उठते हुए तूफ़ान को मिटायें कैसे ....... उजड़े हुए चमन में बहार लायें कैसे  ......... अपनी डूबती हुई कसती को पार लगायें कैसे .... दिल के जख्मों को जुबान पे लायें कैसे , !!! दिल में उमड़ते हुए सैलाब को रुकाएं कैसे , अपने टूटे हुए मन को मनाएं कैसे ..... अपनी हस्ती को आफताब  बनाएं कैसे ?? दिल के जख्मों को जुबान पे लायें कैसे !!!! लायें कैसे ???? "प्रियंका त्रिवेदी "

निश्छल प्रेम ....................

हम जी रहे  हैं , अपनी इस ज़िन्दगी में , क्योंकि वो खुश हैं , हम खुश हैं क्योंकि वो मुस्कुरा रहे हैं ...... उनकी एक मुस्कराहट के लिए हम छोड़ दें ये दुनिया ,, उनकी अपनेपन की छाव में हम बहुत आनंद उठा रहे हैं कितना प्यार है , उनके मन में हमारे लिए , कितने इज्जत है , हमारे मन में उनके लिए ,,,, कोई स्वार्थ नहीं उनके प्यार में , कोई छल नहीं उनके लिए हमारे प्यार में ..... उनकी जगह नहीं ले सकता कोई और हमारे दिल में . हमारी जगह भी नहीं ले सकता कोई और उनके दिल में .... हम बहुत सहज महसूस करते हैं अपने आपको उनके प्यार के साए में .... कितनी उम्मीदें हैं उन्हें हमसे , हम भी नहीं करना चाहते मायूस उन्हें .. उन्हें नहीं चाहते हम दुखी देखना , वो भी नहीं चाहते कभी हमें दुखी देखना ... हमारी दिली तमन्ना है की वो सदा यूँ ही मुस्कुराते रहे .... जो भी चाहें जीवन में पाते रहें , ....... और हम भी उन्हें खुश देखकर यूँ ही जिन दगी बिताते रहें .... DEDICATED TO ALL MY IDEALS & WELL WISHERS IN MY LIFE ....... "प्रियंका त्रिवेदी "

प्रकृति दर्शन ................

मैंने आज एक बहुत प्यारा सपना देखा  ....... मैंने देखा की मौसम बड़ा सुहाना था  ......चारों तरफ हरियाली ही हरियाली  थी ..... प्रकृति का नजारा बड़ा ही प्यारा और दिल को सुकून देने वाला था ,,, कोयल के वो सुरीले गीत वो फूलों की प्यारी खुशबू वो हवाओं की सनसनाहट ,, वो झरनों का बहना ,, वो भौरों का भुनभुनानना , ये सब मन को बहुत ही अच्छा लग रहा था ... मुझे बड़ा आनंद आ रहा था ... मुझे ऐसा लग रहा था, मानो आज मुझे प्रकृति के साक्षात् दर्शन हो गए हों !!!!! बड़ा सुकून मिल रहा था की अचानक मेरी आँख खुल गयी , और तब मुझे अहसास हुआ , की नहीं ये सब कुछ भी सही नहीं था , बस मेरा एक सपना ही था ..... जो की अब टूट चुका था , मुझे कोई प्रकृति के कोई दर्शन नहीं हुए थे ... वो सब बस मेरा एक भ्रम था ,, जो अब चूर - चूर होकर बिखर चुका था ........ ये सोचकर मुझे बहुत दुःख हुआ ... लेकिन मैंने हार नहीं मानी ,,,,, और अपने उस सपने को सच करने के लिए प्रयास करती रही .... ताकि कभी तो मेरा वो सपना पूरा हो सके !!!!!!!!! "प्रियंका त्रिवेदी"

आज का सच ...........

उस प्यारी सी बच्ची को गाँव के बाहर कूड़े के ढेर में फेक दिया गया ,  केवल इसीलिए क्योंकि वह अपने गरीब माता पिता के लिए चौथी लड़की थी जो की उनके परिवार में पैदा हुई थी , ...... यहाँ तक की आज के आधुनिक युग में भी एक लड़की जन्म को सही तरीके से नही देखा जाता है ..... यहाँ भारत का लड़के और लड़कियों के जन्म का अनुपात १०० लडकों पर ९० लड़कियां है ....... जो की संसार के औसत अनुपात .... १०५ लड़कियों पर १०० लडकों के अनुपात से बेहद कम है ..... ये है आज के संसार का सबसे शर्मिंदा कर देने वाला सच .......   अरे हमें तो अपने संसार से कुछ सीखना चाहिए , और लड़कियों को जीने का बराबर हक देना चाहिए ......... ताकि वे भी इस दुनिया का एक अभिन्न अंग बन सकें और ..... हमारे संसार को स्वर्ग बना सकें ..... मेरा इस कविता को लिखने का केवल एक और एकमात्र उद्देश्य यही है की .... हर व्यक्ति कन्या भ्रूण हत्या के बारे में जागरूक बन सकें जोकि अपने भारत में बहुत ही तेजी के साथ बढ़ रहा है , और अन्य देशो में भी इसको रोकने के कोई सार्थक प्रयास नही किये गये हैं ........... मैं केवल यही चाहती हूँ की इस संसार में , हर